April 23, 2024
Biography of Milkha Singh (The flying Sikh)

Biography of Milkha Singh (The flying Sikh)

Biography of Milkha Singh (मिल्खा सिंह की जीवनी )

मिल्खा सिंह यह एक ऐसा खिलाडी था जो भागता नहीं था उड़ता था , जिस के लिए मिल्खा सिंह को “The flying Sikh” भी कहा जाता है ,

बचपन : मिल्खा सिंह का जनम 1935 में पाकिस्तान के Govindpura में हुआ , मिल्खा सिंह का बचपन पाकिस्तान में ही गुजरा  मगर जब देश का बटवारा हुआ तो पाकिस्तान में वी दंगे शुरू हो गे और मिल्खा सिंह के माता पिता को मिल्खा सिंह की आँखों के साह्मने कतल कर दिया गिया , और मिल्खा सिंह आपने भागने के हुनर के दम पर ही इन दंगो से बच सके , मिल्खा सिंह ने आपनी एक इंटरव्यू में बताया था के जब उन के पिता को मारा जा रहा था तो उन के मूह से आखरी बोल निकले थे “ भाग मिल्खा भाग “ जिस के लिए मिल्खा सिंह वह से भागे और भारत आ गए ,

भारत में आ कर मिल्खा सिंह आर्मी में भारती हो गए , उस वक़्त यह कोई नहीं जानता था के यह दुगला पतला सा दिखने वाला सरदार एक दिन ऐसे हवा में उड़ने लगे गा के लोग इसे “ The flying sikh” कह कर पुकारे गे ,

 Biography of Milkha Singh (मिल्खा सिंह की जीवनी)

बात 1951 की है जब आर्मी में एक पालटून की क्रॉस कंट्री रेस होनी थी जिस में मिल्खा सिंह ने वी भाग लिया था , इस रेस में 500 रेसर थे , मगर जब यह रेस पूरी होई तो मिल्खा सिंह पहले 10 रेसर में से एक थे , बस वही वोह वक़्त था जिस से मिल्खा सिंह की तकदीर बदली , मिल्खा सिंह जिस को पहले कोई नहीं जानता था वोह एक रात में स्टार बन गे ,

आगे चल कर आर्मी में होलदार गुरदेव सिंह ने इन का मार्ग दर्शन किया , और बिग्रेदीअर जोहन अब्राहम जो अब रटेर हो चुके हैं उन से वी मिल्खा सिंह को बहुत प्रोत्साहन मिला ,

1956 को पहली बार मिल्खा सिंह भारत की तरफ से मेलबोर्न ओलम्पिक्स में खेले , उस वक़्त मिल्खा सिंह के पास वोह अनुभव नहीं था जो इसे अन्तराष्ट्री पद पर एक गोल्ड मैडल जिता सकता ,

1958 में एशियन गेम्स में मिल्खा सिंह 200 मीटर और 400 रेस में गोल्ड मैडल जीता , उसी साल comonwelth games में 400 मीटर की रेस में  एक और गोल्ड मैडल .

The flying Sikh title :

1960 में पाकिस्तान की तरफ से मिल्खा सिंह को निओता आया मगर मिखा सिंह पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे क्यों की पाकिस्तान वोह धरती थी जिस पर मिल्खा सिंह का बचपन बीता था मगर पाकिस्तान वोह धरती वी थी जहाँ पर इनोह ने बहुत ही खौफनाक मंजर देखे थे जो इन का दिल देहला चुके थे , और यह उन यादों में वापस नहीं जाना चाहते थे , मगर उस वक़्त के परधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु के कहने पर मिल्खा सिंह पाकिस्तान गए ,

पाकिस्तान में यह 400 मीटर की रेस थी उस वक़्त के सब से वरिष्ठ धावक अब्दुल खलीफ के साथ यह रेस थी , उस वक़्त सभी यह सोच रहे थे के यह पतला दुगला सरदार कैसे अब्दुल खलीफ के साथ मुकाबला कर सके गा , मगर जब यह रेस शुरू होई थो मिल्खा सिंह ने सभ को गलत साबत कर दिया , और अब्दुल खलीफ को बुरी तरेह से हरा दिया ,satedium में बेठी हज़ारो बुरका पहने औरतों ने अपना निकाब हटाया और इस उड़ते हुए सरदार की झलक देखि

और उस वक़्त के पकिस्तान के जनरल अजूब खान ने कहा के मिल्खा सिंह भागा नहीं , हवा से बातें करता हुआ उड़ा है , वही से मिल्खा सिंह को यह टाइटल द फ्लाइंग सिख मिला ,

1960 के रोम ओलम्पिक में मिल्खा सिंह थोड़े ही मार्जन  से मिल्खा सिंह  मेडल से बंजित रह गे जिस के बारे में मिल्खा सिंह आज वी आपने इंटरव्यू में कहते हैं के जो मैडल उस वक़्त हमारे हाथ से छूट गया आज कोई ऐसा खिलाडी पैदा हो जो उस को वापस ली आए ,

Milkha singh’s faimly

 मिल्खा सिंह का विवाह निर्मल कौर (wife) से हुआ था जो भारतीय वोलीबाल टीम की कप्तान रह चुकी हैं , इन का बेटा (son) जीत्मिल्खा सिंह एक जाना मान गोल्फर है ,

Facts about milkha singh’s life : मिल्खा सिंह ने अबतक 80 races लगाईं हैं जिस में से 77 जीती है , यह अबतक का वर्ल्ड रिकॉर्ड है अबतक किसी वी खिलाडी ने इतनी races नहीं जीती ,

मिल्खा सिंह पाकिस्तान में अपने स्कूल से घर भाग कर जाते थे जो के उस वक़्त 10 किल्लोमीटर दूर था ,

1958 में मिल्खा सिंह पहले ऐसे भारतीय थे जीनो ने आजाद भारत को पहली वार गोल्ड मैडल दिलाया था ,

मिल्खा सिंह की जिन्दगी पर एक एक bollywood की movie बन चुकी है जिस का नाम है “bhag milkha bhag” जिस में फरहान अख्तर ने मिल्खा सिंह का रोल किया है ,

मिल्खा सिंह के अंतिम दिन और मृत्यु – Milkha Singh Death

भारत के स्टार खिलाडी और एथलीट मिल्खा सिंह मई माह में कोविड -१९ यानि के कोरोना नामक बीमारी से संक्रमित हुए थे, जिसमे पहले कुछ दिनों में उनकी सेहत में काफी सुधार हुए थे। शुरुवात से उन्हें कोरोना के उपचार हेतु अस्पताल में दाखिल किया गया था जिसमे जून माह के मध्य में अचानक से उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी थी।

फलस्वरूप १८ जून २०२1 को रात को ग्यारह बजकर तीस मिनट पर भारत के इस महान एथलीट ने अंतिम साँस लेते हुए दुनिया को अलविदा कहाँ, इनके मृत्यु के कुछ दिन पूर्व इनके धर्मपत्नी की भी मृत्यु हुई थी। इस तरह से अबतक आपने महान भारतीय एथलीट मिल्खा सिंह के जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी को पढ़ा, आशा करते है दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।

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