April 25, 2024
King Porus History in Hindi | राजा पोरस का इतिहास

King Porus History in Hindi | राजा पोरस का इतिहास

राजा पोरस का इतिहास

राजा पोरस (King Porus) और सिकन्दर की कहानी काफी मशहूर है जिसे ना केवल एतेहासिक लेखो में बल्कि लोगो की जुबान पर भी इनके बीच हुए युद्ध की कहानी याद  है | यूनानी इतिहास में ना केवल सिकन्दर की बहादुरी की प्रशंशा है बल्कि पोरस की प्रसंशा भी की गयी है | आइये आज हम आपको उस महान राजा पोरस की जीवनी से रूबरू करवाते है |

राजा पोरस (King Porus) पौरवो का राजा था जिनका साम्राज्य झेलम और चिनाब नदी के बीच फैला हुआ था | पौरवो का उद्गम महाभारत काल का माना जाता है | जो राजा चन्द्र वंश निकले वो चन्द्रवंशी कहलाये थे | ययाति नामक एक राजा इसी प्रकार का एक चन्द्रवंशी राजा था जिसके दो पुत्र थे पुरु और यदु | पुरु के वंशज पौरव कहलाये और यदु के वंशज यादव कहलाये | इसलिए राजा पोरस एक चन्द्रवंशी राजा था जो ययाति का वंशज था | चन्द्रवंशी होने के कारण उसका पराक्रम और बल अकल्पनीय था | पौरव ही वो शासक थे जिन्होंने फारसी राजाओ डेरियस और जर्कसीज को युद्ध में पराजित किया था |  Cyrus the Great इन्ही युद्धों में भारतीय योद्धाओ के साथ युद्ध करते हुए मारा गयाथा |

328 ई.पु. बेबीलोन जीतन के बाद सिकन्दर का अगला निशाना भारत था | 327 ई.पू.  में सिकन्दर भारत में अपना साम्राज्य फैलाने की फिराक में था | उस वक्त सिकन्दर के पास लगभग 40 हजार पैदल सेना और 5000 घुड़सवार सेना थी | अब मुख्य सेना खैबर पास से प्रवेश कर रही थी जबकि सिकन्दर के नेतृत्व में एक छोटी सेना उत्तरी रस्ते से ओरोंस के किले को जीतते हुए आ रही थी | अगले साल बसंत की शुरुवात में उसने तक्षशिला के अम्भी राजा के साथ संधि कर उसकी सेना को अपनी सेना के साथ मिला लिया |

सिकन्दर ने अपना डेरा झेलम नदी के किनारे डाल दिया था | दुसरी तरफ पोरस ने अपनी सेना को झेलम नदी के दक्षिणी किनारे पर खड़ा कर दिया | झेलम नदी इतनी गहरी थी कि किसी भी अगर को भी इसे पार करने की कोशिश करता तो खत्म हो जाता | सिकन्दर जानता था कि सीधी लड़ाई से विजयी होने के आसार कम हो जायेंगे इसलिए वो विकल्प की तलाश में लग गया | लेकिन धीरे धीरे छोटे टापुओ के जरिये वो आखिरकार झेलम नदी को पार कर गया |

झेलम का युद्ध सिकन्दर और पोरस (King Porus) के बीच 326 ईस्वी में हुआ था | ये युद्ध झेलम नदी के किनारे लड़ा गया था |  यूनानी ग्रंथो के अनुसार इस युद्ध में मेसीडोनिया की विजय हुयी थी | सिकन्दर पोरस की बहादुरी से इतना प्रसन्न हुआ कि उसने पोरस को अपने ही साम्राज्य का सूबेदार नियुक्त किया और व्यास नदी किनारों वाले इलाके उसे सौंप दिए थे | सिकन्दर ने उसे तक्षशिला के राजा अम्भी का राज भी उसे सौंप दिया जो सिकन्दर के विरुद्ध लड़ा था | हालांकि इतिहास में इस कहानी से जुड़े विविध तथ्य है | पोरस (King Porus) का जिक्र वैसे तो किसी भी भारतीय ग्रन्थ में नही है लेकिन यूनानी लेखो के आधार पर सिकन्दर के एक सेनापति युड़ेम्स ने 321 और 315 ई.पु. हत्या कर दी थे |

भारतीय इतिहास में पोरस (King Porus) का कही भी जिक्र नही है क्योंकि उस दौर में भारत में लिखित स्त्रोत बहुत कम लिखे जाते थे जबकि यूनान में इसका आरम्भ हो चूका था | भारतीय इतिहासकारो में बाद में सिकन्दर और पोरस के युद्ध का विशलेषण किया तो पाया कि अगर पोरस और सिकन्दर का युद्ध नही हुआ होता तो भारत के इतिहास में सिकन्दर भी एक शासक के रूप में गिना जाता जो शायद पुरे उत्तरी भारत पर कब्जा कर सकता था लेकिन पोरस के साथ युद्ध में सिकन्दर का काफी नुकसान हुआ और अनेको सैनिक घायल हुए जिसकी वजह से उसे झेलम नदी को पार किये बिना वापस अपने देश लौटना पड़ा |

राजा पोरस (King Porus) ना केवल शक्तिशाली था बल्कि उसके पास इतनी बड़ी सेना थी जो उस दौर में किसी भारतीय राजा के पास नही थी लेकिन पोरस के पास रणनिति सिकन्दर से बेहतर नही थी इसलिए पोरस युद्ध में तो पराजित हो गया था लेकिन एक थोड़े से अंतर से विजयी होने से रह गया था लेकिन उसकी सेना ने मेसीडोंनिया के सैनिको की नाक में दम कर दिया था और भारत में प्रवेश नही करने दिया | इसके बाद ही मौर्यों ने अखंड भारत का निर्माण किया था जो आगे चलकर बंटता चला गया | पोरस की शूरवीरता से प्रेरित होकर सोनी टीवी ने टीवी इतिहास का सबसे महंगा सीरियल Porus बनाया है जिसकी लागत 500 करोड़ है |

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