November 2, 2024
John Napier Biography in Hindi

John Napier Biography in Hindi

John Napier Biography in Hindi | जॉन नेपियर की जीवनी

गणितज्ञ एवं लोगरिथम प्रणाली के जनक जॉन नेपियर (John Napier) का जन्म एडिनबर्ग के पास मार्किस्टन में सन 1550 में हुआ था | उनका परिवार जमींदार था | जॉन नेपियर (John Napier) की प्रारम्भिक शिक्षा फ्रांस में हुयी थी | इसके बाद वे पढने के लिए एंड्रूज गये | सारी पढाई उनकी विदेश में हुयी , पर डिग्री के बारे में ज्ञात नही है | इसके बाद वे अपने गृहनगर नोट आये और सन 1571 में उनका विवाह हो गया | उन्हें अपनी पैतृक जायदाद बहुत बाद में मिल पायी | इसे बीच वे लगातार कृषि संबधी प्रयोग करते रहे | साथ में वे अपना समय धार्मिक विवादों , गणित एवं युद्ध संबधी उपकरण आदि तैयार करने में लगाते थे |

John Napier Biography
John Napier Biography

उन्होंने अपने अध्ययनों एवं अनुसन्धानो को कलमबद्ध भी किया | सन 1596 में उन्होंने एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती एंथनी बेकस को अपनी पांडूलिपि भेजी , जिसमे अपने विकसित उन गोपनीय अविष्कारों एवं उपकरणों का वर्णन था जो एक द्वीप्प की सुरक्षा के लिए आवश्यक भी थे और लाभदायक भी | उनका मानना था कि इनकी सहायता से अजनबियों , ईश्वर के सत्य एवं धर्म विरोधियो से निपटा जा सकता है | इस पांडुलिपि मे जला देने वाले दर्पणों , तोप के गोलों  ,आधुनिक टैंको जिसे वाहनों का वर्णन था |

जॉन नेपियर (John Napier) को उनके लोगरिथम अर्थात लघुगणक प्रणाली के विकास के लिए मुख्यत: जाना जाता है | अपने पहले विवाह के पश्चात उन्होंने गणित की इस शाखा के बारे में अध्ययन प्रारम्भ किया था | इस अध्ययन के दौरान उन्होंने उन्होंने गणित की अन्य विधाओं का भी अध्ययन किया | उनका संख्या प्रणाली संबंधी अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण था | उनके धर्म विरोधी कार्यो और इस कारण उपजने वाले विवादों के कारण उपयुक्त अनुसन्धान कार्यो में काफी बाधाये आयी | फिर भी सन 1594 तक उन्होंने लोगरिथम का मौलिक सिद्धांत विकसित कर लिया था |

आने वाले समय में वे लगातार इसकी उपयोगिता बढाते रहे | उन्होंने इसके प्रयोग के लिए सारणीया स्वयं तैयार की | इस प्रक्रिया में उन्होंने वर्तमान दशमलव प्रणाली का भी अध्ययन किया | सन 1614 में जॉन नेपियर (John Napier) का लोगरिथम संबधी कार्य प्रकाशित हुआ | इसमें सारणीया भी थी और उनके प्रयोग की विधि भी समझाई गयी थी | गणित की विभिन्न विधाओं में इसका प्रयोग किस प्रकार हो सकेगा , यह भी बतलाया गया था |

विशेष बात यह भी थी कि लोगरिथम की प्रकृति को समझाने के लिए उचित उदाहरणों का प्रयोग किया गया था जैसे सरल रेखा में बिंदु किस प्रकार बढती है उसी प्रकार की वृद्धि समझाई गयी थी | उस समय लोगरिथम को कृत्रिम संख्याये कहा जाता था | तत्कालीन विद्वान इससे अत्यंत प्रभावित थे और यह नही समझ पा रहे थे कि इस पुरी विधि को विकसित करने का सुराग आखिर उन्होंने कहा से पाया होगा | जो भी हो विधि पर आधारित उनकी पुस्तक का तत्काल अंगरेजी में अनुवाद हुआ और यह सन 1615 में प्रकाशित हुयी |

तत्कालीन गणितज्ञ ब्रिग्स ,राईट आदि उनसे मिलने आये | उन्होंने इस विषय पर गहन चर्चा की कि किस प्रकार लोगरिथम के बेस को बेहतर एवं सुविधाजनक बनाया जाए | कुशाग्र बुद्धि जॉन नेपियर इस सम्भावना पर पहले से ही चिन्तन कर चुके थे | उन्होंने समझ लिया था कि इसके लिए पुनर्गणना करके सारणियो को तैयार करना होगा | नेपियर से चर्चा के पश्चात ब्रिग्स ने दशमलव आधार वाली लोगरिथम सरणियो को तैयार करना आरम्भ किया ; पर नेपियर के जाने के बाद ही सन 1617 एवं 1624 में प्रकाशित हो पायी | बाद में प्राकृतिक या नेपिरियन लोगरिथम विकसित हुयी , जो मूल नेपिरियन लोगरिथम से भिन्न थी पर उन्ही के नाम से प्रयोग होती रही |

हालांकि जॉन नेपियर (John Napier) अपनी लघुगणक प्रणाली के लिए ही लोकप्रिय है पर उन्होंने अपने जीवन काल में नम्बर युक्त छड़े भी विकसित की , जो नेपियर्स बोन कहलाती है | यह तरीका काफी लोकप्रिय हुआ , पर गणितीय रोचकता इसमें नही है | उन्होंने वह विधि भी निकाली , जिसमे चैस बोर्ड पर काउंटर की गतिविधियों से गुणा करना , भाग करना , वर्गमूल निकालना आदि किया जा सकता है | त्रिकोणमिति के अनेक नियमो को नेपियर के नियमो के रूप में जाना जाता है | नेपियर (John Napier) के योगदान से तात्कालिक विधवत समाज एवं बैज्ञानिक समाज में धूम मच गयी थी | उनकी लघुगणक प्रणाली का बड़े पैमाने पर उपयोग खगोलीय गणनाओ में होने लगा था | केपलर ने इसके प्रचार-प्रसार में योगदान किया था |

जॉन नेपियर (John Napier) अति परिश्रमी व्यक्ति थे | उन्होंने अपने काम में लम्बा समय लगाया और ऐसी प्रणाली तैयार की , जिससे शुद्ध एवं सटीक परिणाम आता था | शताब्दियों तक उनके कार्य का बड़े पैमाने पर उपयोग होता रहा और आज भी हो रहा है पर इस प्रणाली में किसी व्यापक संशोधन की आवश्यकता नही पड़ी | जीवन भर धर्म में अतर्कसंगत बातो का विरोध करने वाले जॉन नेपियर ने पहली पत्नी के निधन के पश्चात दूसरा विवाह किया था | उन्होंने यूरोप की दूर-दूर यात्रा भी की थी | 4 अप्रैल 1617 को इस महान गणितज्ञ का मार्किस्टन ने निधन हो गया |

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