October 4, 2024
Subhash Ghai Biography in Hindi

Subhash Ghai Biography in Hindi

Subhash Ghai Biography in Hindi | बॉलीवुड के शोमैन सुभाष घई की जीवनी

मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा की कड़ी में ही सुभाष घई (Subhash Ghai) बॉलीवुड के शोमैन है | सुभाष घई ने भी इन्ही दोनों की तरह बड़े प्लाट की कहानियों को बड़े सितारों के साथ प्रस्तुत किया है | उन्होंने ज्यादातर आपराधिक पृष्टभूमि वाली पटकथाओं पर फिल्मे बनाई | दो भाइयो के टकराहट में खानदान की प्रतिस्पर्धा , अंडरवर्ल्ड के षड्यंत्र तथा देशभक्ति के जज्बे वाले ड्रामे को उन्होंने बहुत ही प्रभावशाली तरीके से चित्रित किया है |

Subhash Ghai Biography
Subhash Ghai Biography

अमिताभ युग के मध्य में अंकुरित हुए सुभाष घई एक बड़ी हैसियत वाले फिल्मकार बन गये | उन्होंने अपना एक स्वतंत्र बैनर “मुक्ता आर्ट्स” की स्थापना सन 1983 में की | इस अवधि में घई ऐसे निर्देशक हुए , जिनके निर्देशन में अमिताभ बच्चन की फिल्म नही है | वह हमेशा नये चर्चित कलाकारो के साथ फिल्मे बनाते रहे | अस्सी के दशक में जब फिल्म उद्योग के सभी बड़े फिल्मकार अमिताभ के साथ फिल्मे बनाने की ख्वाहिश रखते थे वही सुभाष घई (Subhash Ghai) शत्रुघ्न सिन्हा के साथ फिल्म निर्माण के मैदान में दाखिल हुए |

सुभाष घई (Subhash Ghai) ने अपनी आरम्भिक तीन फिल्मो – कालीचरण (1976) , विश्वनाथ (1978) और गौतम-गोविंदा (1980) में शत्रुघ्न सिन्हा को मुख्य अभिनेता के रूप में पर्दे पर उतारा | माना भी जाता है कि शत्रुघ्न सिन्हा को पूरा एक्सपोजर सुभाष घई के निर्देशन में ही मिला | “कालीचरण” में शुत्रुघ्न सिन्हा ने स्मरणीय भूमिका अदा के है | “कालीचरण” में शत्रुघ्न सिन्हा की दोहरी भूमिका की तुलना “डॉन” के अमिताभ बच्चन की दोहरी भूमिका से की गयी  थी |  दोनों फिल्मो में प्लाट में मामूली फर्क था |

अगले ही वर्ष यानि 1980 में सुभाष घई ने ऋषि कपूर और टीना मुनीम के साथ “कर्ज” का निर्देशन किया | संगीतमय प्रेम कहानी वाली यह फिल्म उस दौर की चर्चित फिल्मो में से एक है | इस फिल्म की सफलता ने उन्हें पक्के तौर पर स्थान दिलाया | इसके पश्चात सुभाष घई मल्टीस्टारर फिल्म की तरफ प्रवृत हुए | इसके तहत उन्होंने क्रोधी (1981) , विधाता (1982) , कर्मा (1986) , सौदागर (1991) जैसी सुपरहिट फिल्मे बॉलीवुड को दी |

सुभाष घई (Subhash Ghai) ने सन 1983 में जिस तरह जैकी श्रॉफ को “हीरो” बनाया , उसी तरह दस साल बाल 1993 में संजय दत्त को “खलनायक” बनाकर बॉलीवुड का चर्चित अभिनेता बना दिया | सुभाष घई के निर्देशन में अनिल कपूर के साथ “मेरी जंग” (1982) तथा “राम लखन” (1989) , ताल (1999) जैसी सफल फिल्मे दी | सन 2001 में उन्होंने “यादे” फिल्म बनाई जो व्यावसायिक तौर पर विफल हो गयी | “यादे” के बाद भी उन्होंने “एतराज” (2004) , इकबाल (2005) , शादी से पहले (2006) और 36 चाइना टाउन (2006) जैसी फिल्मे बनाई |

सन 1943 में नागपुर में जन्मे सुभाष घई (Subhash Ghai) ने 1968 के सत्र में भारतीय फिल्म प्रशिक्षण संस्थान से एक्टिंग में स्नातक की उपाधि हासिल की थी | प्रारम्भ में उन्हें अभिनेता और गीतकार बनने का शौक था | “आराधना” “उमंग” “भारत के शहीद” “दो बच्चे दस हाथ” “ग्रहण” “धमकी” तथा “नाटक” (सभी 70 से 75 के बीच) जैसी फिल्मो में उन्होंने अभिनय किया था | किन्तु बड़ी कामयाबी न मिलने पर वह निर्देशन और निर्माण की तरफ मुखातिब हुए | उन्होंने पहली बार बी.बी.भल्ला की फिल्म “खान दोस्त” (1976) के लिए निर्देशन में सहयोग दिया | इसके पश्चात उन्होंने स्वतंत्र रूप से “कालीचरण” से निर्देशन आरम्भ किया | अपनी सफल फिल्मो की बदौलत सुभाष घई (Subhash Ghai) बॉलीवुड के शो मैन की हैसियत रखते है |

करियर

सुभाष घई ने अपने करियर की शुरुआत बतौर अभिनेता की थी।  उन्होंने अपने शुरूआती करियर में कई लो बजट फिल्मों  किया। उन्होंने सिर्फ सहायक किरदार ही नहीं बल्कि उमंग और गुमराह जैसी फिल्मों में लीड रोल में भी नजर आये। जब उन्हे लगा की अभिनय उन्के बस की बात नहीं है तो उन्होनें फील्म निर्देशन में अपनीं किस्मत आजमानें की सोची।  निर्देशन का डेब्यू हिंदी सिनेमा में फिल्म कालीचरण से वर्ष 1976 में किया। उनकी यह फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर सुपर-डुपर हिट साबित हुई थी।  इस फिल्म के उन्हें आलोचकों से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली साथ ही उन्हें कई उन्हें पुरुस्कारों से भी सम्मानित किया गया।   उन्होंने अभिनेता दिलीप कुमार के साथ मिलकर कई फिल्मों का निर्देशन किया जिनमे विधाता, सौदागर,कर्मा जैसी फ़िल्में शामिल हैं।  उन्हें फिल्म कर्मा के लिए राष्ट्रीय पुरुस्कार से भी नवाजा गया। इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा में कई हिट फ़िल्में दी, जो दर्शकों और आलोचकों द्वारा बेहद सराहाई गयी।
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