रतन टाटा की जीवनी । Biography of Ratan Tata
Biography of Ratan Tata in Hindi. कौन होता है Mega Icon, दूर की सोंच रखने वाला वो शक्स जो अपने मुनाफे से पहले लोगों को रखता है, जिसके नाम के माने हो उसूल और लोगों का भला, रतन नवल टाटा आते हैं JamshedJi Tata के खानदान से, जिनहे भारतीय उधयोग का जनक कहा जाता है। और जिनहोने 1870 के दशक मे विशाल टाटा समूह की बुनियाद रखी थी।
100 से ज़्यादा साल बाद रतन टाटा ने टाटा समूह का चेयरमान बनकर इसे कंपनियों के एक बेहतरीन भारतीय समूह से दुनिया का विशाल उधयोग समूह बनाया। आज इस भूतपूर्व Chairman को भारत के और शायद दुनिया के बेहतरीन उधयोगपतियों, निवेशकों और समाज सेवइयों मे गिना जाता है। आइये हम आपको बताते हैं की कैसे पलटा उन्होने अपनी तकदीर को। उनके बार मे सारी जानकारी आपको यहाँ मिलेगी।
रतन टाटा का प्रारम्भिक जीवन
Biography of Ratan Tata in Hindi. भारत के महान बिजनेसमैन रतन टाटा भारत के सूरत शहर में 28 दिसंबर, साल 1937 में एक व्यापारी घराने में जन्में थे। रतन टाटा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के ही कैंपियन स्कूल में रहकर पूरी की। इसके बाद उन्होंने मुंबई के ही कैथेड्रल और जॉन स्कूल में रहकर अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की। । इसके बाद उन्होंने अपना बी एस वास्तुकला में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के साथ कॉर्नेल विश्वविद्यालय से 1962 में पूरा किया। तत्पश्चात उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से सन 1975 में एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।
Ratan Tata के पिता नवल टाटा और माता सोनू थी। उनके माता-पिता के बीच तलाक के बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया था। जब रतन दस साल के थे और उनके छोटे भाई, जिमी, सात साल के तभी उनके माता-पिता (नवल और सोनू) मध्य 1940 के दशक में एक दुसरे से अलग हो गए। तत्पश्चात दोनों भाइयों का पालन-पोषण उनकी दादी नवजबाई टाटा द्वारा किया गया। रतन टाटा का एक सौतेला भाई भी है जिसका नाम नोएल टाटा है।
रतन टाटा का 21 साल का करीयर
रतन टाटा ने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद भारत लौटने से पहले कुछ समय तक लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया, में जोन्स और एमोंस में काम किया और फिर IMB में भी जॉब की। उन्होंने टाटा ग्रुप के साथ अपने करियर की शुरुआत सन 1961 में की। वे अपने परिवारिक टाटा ग्रुप का हिस्सा बने और इस ग्रुप के साथ अपने करियर की शुरुआत की। शुरुआती दिनों में उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर कार्य किया। इसके बाद वे टाटा ग्रुप के और कंपनियों के साथ जुड़े। इसके साथ ही टाटा स्टील को बढ़ाने के लिए इस दौरान उन्हें जमशेदपुर भी जाना पड़ा था। बाद में उन्हें टाटा ग्रुप की कई अन्य कंपनियों के साथ जुड़ने का अवसर प्रदान हुआ।
रतन टाटा को साल 1971 में राष्ट्रीय रेडियो और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) में प्रभारी निदेशक नियुक्त किया गया। उस समय इस कंपनी की आर्थिक हालत बेहद खराब थी। जिसके बाद रतन टाटा ने अपनी काबिलियत के दम पर NELCO कंपनी को न सिर्फ नुकसान से उभारा बल्कि 20 फीसदी तक हिस्सेदारी भी बढ़ा ली थी। हालांकि, जब इंदिरा गांधी के सरकार ने देश में इमरजेंसी लागू कर दी उस समय आर्थिक मंदी की वजह से काफी परेशानी उठानी पडी।
यही नहीं साल 1977 में टाटा को यूनियन की हड़ताल का सामना किया जिसके चलते बाद में नेल्को कंपनी बंद करनी पड़ी। टाटा नैनो दुनिया की सबसे सस्ती कार भी रतन टाटा के ही सोच का ही परिणाम है। उनके दिमाग मे ये बात तब आई जब उन्होने एक फॅमिली जिसमे 2 बच्चे और पति पत्नी स्कूटर पे बैठ के बारिश के मौसम मे जा रहे थे। तभी उनका स्कूटर फिसल गया। यही से उन्होने सस्ती कार बनाने के बारे मे सोचा।
वर्तमान में रतन, टाटा समूह के सेवानिवृत अध्यक्ष हैं। इसके साथ-साथ वह टाटा संस के 2 ट्रस्ट्स के अध्यक्ष भी बने हुए हैं। रतन टाटा ने भारत के साथ-साथ दूसरे देशों के कई संगठनो में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। वह प्रधानमंत्री की व्यापार और उद्योग परिषद और राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धात्मकता परिषद के एक सदस्य हैं। रतन कई कम्पनियो के बोर्ड पर निदेशक भी हैं।
फोर्ड कंपनी और टाटा मोटर्स के बीच की बातचीत
रतन टाटा, टाटा मोटर्स के मेम्बर्स के साथ अपनी कंपनी बेचने का प्रस्ताव लेके फोर्ड मोटर्स के पास गए। फोर्ड मोटर्स का हैड्क्वार्टर अम्रीका मे है। दोनों की मीटिंग 3 घंटे चली। फोर्ड मोटर्स के चेयरमैन William Clay Ford Jr. ने मीटिंग मे कहा की जब तुम्हें बिज़नस का कोई ज्ञान ही नहीं है तो तुमने कार को लॉंच करने मे पैसा क्यू लगाया। साथ ही साथ उन्होने ये भी कह दिया की हम तुम्हारी कंपनी को खरीद के तुमपे एहसान कर रहे हैं। कहते हैं न आगे बढ्ने के लिए एक चिंगारी ही बहुत है।
William Clay Jr. की बाते Ratan Tata को बहुत ज्यादा हर्ट की, उन्होने कंपनी बेचने से मना किया और रातों रात अपनी टीम के साथ USA से Mumbai आ गए। Mumbai आने के बाद Ratan Tata ने अपनी कंपनी को सफलता की ओर पाहुचाने के लिए दिन रात एक कर दिया। देखते ही देखते टाटा कार के बिज़नस का ग्राफ बढ़ता गया।
वही दूसरी तरफ Ford Motors का ग्राफ घटता गया। और सन 2008 के अंत तक Bankrupt होने की कगार पे आ गया। उस समय Ratan Tata ने Ford Company के सामने उनकी Luxury Series Car Land Rover और Jaguaarको खरीदने का प्रस्ताव रखा। तथा बदले मे Ford को अच खासा दाम देने को कहा।
रतन टाटा के विचार
रतन टाटा एक प्रसिद्द उद्योगपति होने के साथ-साथ एक नेक इंसान भी हैं, जो कि अपनी दरियादिली के लिए भी जाने जाते हैं। वे हमेशा ही बाढ़ असहाय, गरीबों, मजदूरों पीढ़ितों और जरुरतमंदों की मद्द करते रहते हैं। Covid 19 मे भी रतन टाटा का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
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