Kiran Bedi Biography in Hindi
देश की प्रथम महिला पुलिस अधिकारी किरण बेदी (Kiran Bedi) का जन्म अमृतसर के एक धनवान संयुक्त परिवार में 9 जून 1949 को हुआ था | यह परिवार पेशावर से आकर अमृतसर में बस गया था अत: लोग इस परिवार को पेशावरिया उपनाम से जानते है | किरण बेदी (Kiran Bedi) के दादा ने पेशावर से आकर अमृतसर में कालीन बनाने का कारखाना लगाया तथा दूसरा कारखाना बर्तन गढने का कारखाना था | ये दोनों धंधे खूब फले फुले तथा इस परिवार ने खूब जमीन जायदाद खरीद ली | उस जमाने में वे अमृतसर के तीसरे नम्बर के रईस माने जाते थे |
किरण बेदी (Kiran Bedi) के पिता का नाम श्री प्रकाश लाल और माँ का नाम जनक (प्रेमलता) था | माता-पिता ने अपनी पुत्री को अंग्रेजी पढाने के लिए अमृतसर के एक कान्वेंट स्कूल में भेज दिया | उनका विश्वास था कि शिक्षित गृहिणी ही एक सफल माँ हो सकती है | किरण बेदी ने भी पढाई से समझौता नही किया | उनका सिद्धांत था “को कुछ करो सर्वश्रेष्ठ करो” | इसी आदर्श पर चलते हुए उन्होंने राजनीतीशास्त्र से एम.ए. की परीक्षा पास की | उसके बाद एल.एल.बी. तथा पी.एच.डी. की उपाधियाँ अर्जित की |
किरण बेदी (Kiran Bedi) का विवाह 9 मार्च 1972 को उनके मनपसन्द टेनिस खिलाड़ी श्री ब्रज के साथ अत्यंत सादगीपूर्ण ढंग से हुआ | किरण बेदी को टेनिस खेलना उनके पिता ने ही सिखाया | इसी सीख के कारण टेनिस में राष्ट्रीय तथा एशियाई चैंपियनशिप अर्जित की | उन्होंने श्रीलंका में भारत का प्रतिनिधित्व किया | शायद इसी आधार पर जुलाई 1972 में भारतीय पुलिस सेवा के लिए उनको चयन किया गया | इससे पूर्व वे अमृतसर के खालसा कॉलेज में पढाती थी |
प्रशिक्षण के बाद उनकी पहली तैनाती चाणक्यपुरी पुलिस स्टेशन में हुयी | यहाँ पर रहते हुए उन्होंने कई भयावह एवं संकटकालीन परिस्थितियों में अपनी सूझ-बुझ का परिचय देते हुए अपने पद को सम्भाला तथा हर स्थिति से झुझते हुए वे कुंदन बनकर निकली | 5 नवम्बर 1979 में अकाली सिखों के राष्ट्रपति भवन पर आक्रामक कार्यवाई में उनकी वीरता के लिए पुलिस प्रशासन की ओर से 1979 में उन्हें पुलिस पदक प्रदान किया गया | उसके पूर्व उन्हें NCC खेलो में अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके थे |
1982 के एशियाई खेलो में पुलिस परिवहन को नियंत्रित करने का दायित्व श्रीमती किरण बेदी को दिया गया | उन्होंने सभी संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों की एक समन्वय समिति बनाई तथा विशेषज्ञों के परामर्श से यह कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया | 1988 में दिल्ली में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में उन्होंने संकटकालीन परिस्थितियों का सामना किया तथा अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूर्ण किया | इन्ही दिनों उनके द्वारा कराए गये लाठी चार्ज के लिए वाधवा आयोग ने 1990 में दी गयी अपनी रिपोर्ट में किरण बेदी (Kiran Bedi )को दोषी करार दिया गया जिसके लिए उनका स्थानान्तरण मिजोरम कर दिया गया | मिजोरम में रहकर भी उन्होंने सफलतापूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन किया तथा स्थानीय व्यक्तियों में अत्यंत लोकप्रिय हो गयी |
किरण बेदी (Kiran Bedi) की धारणा हमेशा यही रही कि प्रत्येक कर्मचारी को अपने अधिकारियों से सीधे मिलने की छुट होनी चाहिए | इससे पुलिसकर्मी अत्यंत उत्साहित हुए | दिल्ली में लागू बीट प्रणाली किरण बेदी की ही देन है | इसके अंतर्गत प्रत्येक बीट का कांस्टेबल अपने क्षेत्र का सम्पूर्ण उत्तरदायी होता है | इससे कांस्टेबल प्रोत्साहित होकर दोगुने बल से कार्य करता है | समय समय पर अधिकारियों के मुंह से निकला प्रशंसा का एक शब्द उसमे पुरी उर्जा भर देता है | बीट प्रणाली को मिजोरम तथा कई अन्य प्रदेशो में लागू किया गया जिसके अच्छे परिणाम मिले है | उन्हें जहा भी रखा गया वही पर उन्होंने सुधारवादी दृष्टिकोण का परिचय देते हुए व्यवस्था को चुस्त एवं दुरुस्त किया | उन्होंने अपनी पुत्री को मेडिकल में दाखिले के लिए काफी प्रयास किया और सफलता भी प्राप्त की |
किरण बेदी (Kiran Bedi) को जेल महानिरीक्षक के पद पर तिहाड़ जेल दिया गया | वहां उन्होंने जेल की दुर्दशा देखी | जेल की अव्यवस्था से उनका मन व्यथित हो गया | उन्होंने जेल को आदर्श जेल बनाने का संकल्प लिया तथा अनेक नेताओं , समाज सुधारको , धर्म गुरुओ को जेल में आमंत्रित किया | कई कल्याणकारी योजनाये एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम चालु किये | उन्होंने जेल में अवैध कार्य बंद करवा दिए इसलिए उनका विरोध भी हुआ तथा उनके स्थानान्तरण भी करने की अनुश्षा की गयी |
अपने कार्यकाल में उन्हें अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ | दिल्ली के उपराज्यपाल की विशिष्ट सचिव , चंडीगढ़ पुलिस में महानिरीक्षक , तिहाड़ जेल , दिल्ली में महानिरीक्षक , दिल्ली पुलिस प्रशिक्षण में संयुक्त आयुक्त , दिल्ली पुलिस सतर्कता की विशिस्ट आयुक्त , म्हानिज्ञारीक्ष्क , होमगार्ड एवं नागरिक सुरक्षा , गृह मंत्रालय आदि पदों पर रहते हुए उन्होंने अपनी प्रतिभा तथा आत्मविश्वास से कई सराहनीय कार्य किये जो पुलिस के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण माने जाते है |यद्यपि कई बार पुलिस तथा राजनेताओ द्वारा उनकी आलोचना भी की गयी तथापि वे पुलिस बल तथा आम जनता में अत्यंत लोकप्रिय रही | उन्होंने अपने सिद्धांतो कभी समझौता नही किया तथा वे हमेशा अपने अधिकारों के प्रति जाग्रुक रही | उनका संकल्प था कि निर्दोष को सजा न मिले तथा अपराधी को सजा अवश्य मिले |
प्रशासनिक एवं पुलिस सेवा में रहते हुए भी उन्हें लिखने की अभिरुचि थी अत: उन्होंने कई महत्वपूर्ण विषयों और पुस्तके लिखी जिनका हिंदी तथा अन्य भाषाओं में अनुवाद भी हुआ | इस प्रकार किरण बेदी ने अपने प्रतिभा के बल पर जो चाहा वह प्राप्त किया तथा देश की पहली महिला I.P.S. बनकर लोकप्रियता हासिल की | सिद्धांतो से समझौता न करते हुए उन्होंने स्वेच्छा से सेवानिवृति ले ली परन्तु अन्याय सहन नही किया | देशवासियों को ऐसे ही आत्मविश्वास वाले अधिकारियों पर गर्व है जिनका पूरा जीवन संघर्षमय रहा परन्तु अन्याय के सामने कभी घुटने नही टेके |
किरण बेदी (Kiran Bedi) की सामाजिक कार्यो में गहरी रूचि है इसलिए वो कई स्वयसेवी संघठनो से जुडी हुयी है तथा उन्होंने नवज्योति तथा इंडिया विजन फाउंडेशन की स्थापना की जिसमे ग्रामीण ,झुगी-झोपड़ियो के बच्चो ,युवाओं तथा महिलाओं के इलाज , परामश , चिकित्सा , शिक्षा , प्रशिक्षण तथा इलाज की सुविधाए उपलब्ध कराई जाती है | पुलिस बल के रूप में वे एक आदर्श अधिकारी रही तथा वे अत्यंत लोकप्रिय अधिकारी के रूप में अपने आपको प्रतिस्थापित किया |
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